तूफान से संघर्ष जब हे आते
तूफान से संघर्ष जब है आते
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जीवन में तूफान से संघर्ष
जब भी है आते,
दो धारी तलवार तुम है बन जाते।
हर कांटों को आसानी से तुम चुन लेते
रंग बिरंगे फूल,पथ में हे बिछा देते।
बच्चों पर दुःख का कोई ,
साया न आने देते ।
सुख की चादर उढ़ा,
खुशियां ढेरों देते।
पिता!मेरे सच में तुम भगवान तुल्य हो,
तुम में ही रब दिखता मुझको—
हम बच्चों की पतवार के तुम मांझी हो।
चाहे जितनी आंधी आए,
या डग मग नैया हो।
डूबती कश्ती को तुम पार लगा देते हो।
हम सबके जीवन के तुम सागर हो,
हम सब नदियों की तरह—–
जाकर तुझमें ही सुख खोजें,
पानी की बूंदें बन तुम,
घर में बरसते हो।
हम सबके मन को तुम।
शीतलता देते हो!!!!
जीवन में तूफान से संघर्ष—–
जब भी हे आते—–
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर