तूफानों से लड़ना सीखो
तूफ़ानों से लड़ना सीखो –
तुफानो से लड़ना है तो जीना सीखो जीना है मारना सीखो ।।
जवा जोश के गुरुर से डरना सीखो हस्ती की हद नहीं हद खुद
तय करना सीखो।।
अरमानो का आसमाँ आँसमा से आगे अरमानों को हासिल करना सीखो।।
जूनून मकसद का मकसद
की राहों में गर आ जाए कोईं
मुश्किल तोड़ हर मुश्किल राहों
की हासिल मकसद करना सीखो।।
दुश्मन की शातिर चालो में
फसना नहीं निकालना सीखो
अंगार नौजवान तुम जवां हौसलों की उड़ान उड़ाना सीखो।।
ताकत गर्मी बेजा ना जाए नफ़रत से नफ़रत में जीना सीखो बदल सकते हो दुनियां बदलेगी दुनिया कैसे दुनियां बदलना सीखो ।।
मिटा दो हस्ती को अगर तू मर्तवा चाहे ख़ाक से गुलो गुलज़ार बुनियाद दुनियां के दर्द आंसु गम जहर पीना सीखो।।
हर इंसान में आते तुम एक बार
हर जान में जागते एक बार
आने जागने का फर्क फासला
समझना सीखो।।
मिटा दो या मिट जाओ दुनियां की तारीख पन्नों का अल्फाज बनाना सीखो।।
यूँ ही नहीं लिखी जाती लम्हों
की लकीरे लम्हों की लकीरो
की इबारत की इबादत करना
सीखो ।।
मोहब्बत जिंदगी का फलसफा
इश्क आशिकी दीवानापन तरन्नुम
तराना जायज जिंदगी इश्क का कलमा गीता कर्म ज्ञान का
पड़ना सीखो।।
वक्त बदलता रहता लम्हा लम्हा चलता रहता लम्हा लम्हा चलते वक्त में अपना वक्त बदलना सीखो।।
वक्त गुजरता जाएगा वक्त की
तकदीर् तारीख बदलना सीखो
चिंगारी ज्वाला काल कराल
विकट विकराल तुम वक्त के फौलाद नौजवान तुम।।
तुम हिम्मत की धार तुम तूफां
बौछार तुम वक्त हथियार तुम नौजवान बेजा ना जाए जवानी रवानी रहो होशियार रहना सिखो।।
ढल गयी गर जवानी न कहलाओ
कचरा कबाड़ तुम कुछ नए जोश
जश्न में गुजरो दुनियां रहो महेशा नौजवान जवां जोश ही जिंदा रहना सिखो।।
साँसों की गर्मी ज्वाला से
मंज़िल राहो पथ अग्नि
को बदल डाले जँवा मस्ती में
कुछ तो ऐसा करना सिखो।।
मिटटी के माधव मिटटी में ना
मिल जाओ नया इतिहास रचो
बाज़ीगर जादूगर बाज़ अरबाज़ जांबाज बनना सिखो।।
जमी पे जन्नत की सूरत नया ज़माना नौजवान तुम हसरत का पैमाना हकीकत मैखाना नए कलेवर का नक्शा नशा शाराब बन जाना सिखो।।
सवाल नहीं कोई ऐसा खोज
सको न जबाव तुम नहीं कोई समस्या पाओनहीं निदान तुम
जज्बा जमाने का वक्त कौल
तुम तेरे ही कदमो की दुनियां बेमिशाल बनना सिखो।।
जवानी रवांनी का समंदर
न बन पाये तेरी गहराई जहाँ
सुकुन खुद के रहने ना रहने को दुनियां कैसे समझ पाये दुनिया को बतलाना सिखो।।
अवसर को उबलब्धि में बदलना सीखो नौजवान तुम गिरना और संभालना सीखो।।
नौजवान तुम इरादों के चट्टान राई से पहाड़ मौका मतलब पर मोड़ना सीखो।।
खुद के रहने का वर्तमान रच डालो ऐसा इतिहास दुनियां की तारीखों पन्नों को दुनियां की राहों के रौशन चिराग नौजवान तुम बनना सिखो।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।