तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
तूँ है कि नहीं है सच्च सच्च बता
तूँ रहता कहाँ है दे अपना बता
अबोध हूँ मैं या कि नादान हूँ
तुम्हारी हकीकत से अंजान हूँ
अगर है कभी तो दर्श दिखा
तूँ है कि नहीं………………….
ना तेरा है अक्ष ना कोई नाम
सब पूजते तुझे पत्थर में जान
अगर है तो रूप कोई दिखा
तूँ है कि नहीं………………….
कहते हैं तूँ कण-कण में है
सुना है कि तूँ सबके मन में है
अगर है अपनी सूरत दिखा
तूँ है कि नहीं………………….
‘V9द’ देखता है तूँ किधर
तुझे तकते गया जीवन गुजर
अगर है अपनी रूह दिखा
तूँ है कि नहीं………………….