“तु मेरा भगवान मैं तुझको नमन करूँ “(गीत)
“तु मेरा भगवान मैं तुझको नमन करूँ “(गीत)
तु हैं मेरी शान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
ख्वाबों में तु रोज़ मेरे आती हैं
मेरे सोये एहसासों को जगाती हैं।
तु मेरा अरमान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
जी नहीं सकता अब मैं तेरे बीना
दूर रहकर भी तुझसे अब क्या जीना।
तु हैं मेरी जान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
तुझसे ही तो हैं सारा वज़ूद मेरा
मेरा यहाँ कुछ भी नहीं सब कुछ तेरा।
तु मेरी पहचान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
तुझसे ही तो हैं मेरी सारी खुशियाँ जो तु नहीं तो फिर खुशियाँ कैसी खुशियाँ।
तु है मेरी मुस्कान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
तुझसे ही तो हैं मेरा ये सर ऊचा जो तु नहीं तो फिर मेरा ये सर नीचा।
तु हैं मेरा सम्मान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
तुझसे ही तो हैं मेरी सारी दुनिया
जो तु नहीं तो फिर दुनिया कैसी दुनिया।
तु है मेरा जहान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
नित्य रोज मैं तेरा अर्चन करता हूँ दिलों जान से तुझपे ही मैं मरता हूँ।
तु मेरा अवधान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
सुनो रामप्रसाद कवि ये कहता है एक बस तुझको ही मेरी अब चिंता हैं।
तु मेरा भगवान मैं तुझको नमन करूँ।
तु ही मेरा मान मैं तुझको नमन करूँ।
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “