*”तुलसी का चौरा”*
“तुलसी का चौरा”
मेरे घर आँगन में लगे, तुलसी का चौरा,
सुबह शाम दीप जले, आरती उतारिए।
सुखदाती वरदाति,विष्णु हरि प्रिये अतिप्यारी,
श्यामवर्ण तुलसी ,ज्योति जलाइए।
कार्तिक मास ग्यारस में, देव उठाते हुए,
सोलह श्रृंगार करके एकादशी मनाइए।
हे तुलसी महारानी, शालिग्राम पटरानी,
तुलसी जल तर्पण, नैवेध चढ़ा भक्ति से जगाइए।
धूप दीप वंदन से ,तुलसी पत्र अर्पण कर,
भागवत पुराण गीता में चढ़ाइए।
तुलसीदल पँचमन्जरी ,काढ़ा बनाकर
तुलसी रामबाण औषधि,रोग दोष भगाइए।
जय श्री कृष्णा जय श्री राधेय ..! ! !