तुम
झुरमुट में छुपे
पूनम के चाँद सी तुम,
दूर बहुत दूर फ़िर भी
क्यों अपनी सी तुम l
क्यों भिगो देती हो
तन मन को,
सावन की भीनी-भीनी
गीली हवाओं सी तुम।।
सलिल
झुरमुट में छुपे
पूनम के चाँद सी तुम,
दूर बहुत दूर फ़िर भी
क्यों अपनी सी तुम l
क्यों भिगो देती हो
तन मन को,
सावन की भीनी-भीनी
गीली हवाओं सी तुम।।
सलिल