तुम
मैं तुम्हे शहर भर में ढूंढ़ आई
तुम मेरे धडकनों में थे मिले
खेलती क्या में तेरी हाथों से
तुम तो मेरी लकीरों में न मिले
गैर तो न थे तुम कभी भी जाना
पर कभी भी अपनों मै न मिले
वादा दिल को सुकून देने का था
मगर तुम मेरे जख़्मों में थे मिले
~ सिद्धार्थ