तुम ज़रा दामन को खाली रखना
सज़ाएं बड़ी मिलेंगी तुम्हें
तुम ज़रा दामन को खाली रखना ,
कोई दूजा जहाँ नहीं होता -२
यहीं तो मिलेगा सब
थोड़ा सा सबर रखना ,
बड़े खुश हो ये सोच सोच के
की अभी तुम्हें मिला नहीं
बड़े खुश हो ये सोच सोच के
की अभी तुम्हें मिला नहीं
तो तुम खुदा के प्यारे हो गए ???
रुक जाओ ज़रा –
रुक जाओ ज़रा –
तुमने मुझे अज़ाबों में जलाया तब
जब मैं बड़ी मज़लूम थी ,
ऊपरवाला बात बराबर की करे है -2
अभी तो तुम मक्कार हो
सजा के तुम तब हक़दार होगे
जब तुम भी बड़े मज़लूम होगे
अभी भर लो घड़ा पापों का -2
फूटेगा मगर ,
अभी हंस लो -२
मैं रो लेती हूँ
लेकिन तुम सिसकोगे तब
जब बड़े *माज़ूर होगे ,
आवाज़ों को मेरी जो अपनी चीखों से दबा देते हो -२
रोते रहोगे बियाबाँ में ..तुम भी इक दिन बड़े मजबूर होगे
सज़ाएं बड़ी मिलेंगी तुम्हें
तुम ज़रा दामन को खाली रखना
तुम ज़रा दामन को खाली रखना |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’
* माज़ूर का मतलब निर्बलता , अक्षमता