– तुम ही मेरे जीने की वजह –
– तू ही मेरे जीने की वजह –
तुझसे ही मेरी कविता,
तू ही मेरी गजलों का आधार,
मेरी सारी शायरी है सिर्फ तेरे नाम,
मुक्तको का है ऊपरी आवरण,
कुंडलियां है तेरे नाम,
जीने और लिखने की तू ही एक वजह ,
में बना शायर, कवि,लेखक, साहित्यकार,
उसमे है तुम्हारा बहुत बड़ा योगदान,
मेरा जीवन बनाया तुमने सबसे अलग,सबसे पृथक बनाया मुझे,
सच कहता हु जान मेरी ,
तुम ही हो मेरे जीने की वजह,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184