तुम हमें अब आधे अधूरे से लगते हो।
जानें क्यूं तुम हमें अब आधे अधूरे से लगते हो।
आजकल तुम किसी और के खयालों में रहते हो।।1।।
यूं मजबूरी की चाहत तुम ना दिखाओ हमको।
तुम दिल से किसी और से ही मोहब्बत करते हो।।2।।
हम चाहते है तुम्हें और हमेशा ही चाहते रहेंगे।
पर तुम बन कर फूल किसी और में महकते हो।।3।।
ये मोहब्बत कहां सबकी ही मुकम्मल होती है।
तुम वक्त की तरह आकर अक्सर ही गुजरते हो।।4।।
मुसाफिर बनके हर डगर पर तुम्हें ही ढूंढते हैं।
पर हमको वो राह ना मिलती है जिस पर तुम चलते हो।।5।।
आज मिल गए हो तुम तो चाहत दिखा रहे हो।
चंद अल्फाज़ कहके तुम सदा ही झूठी उम्मीद देते हो।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ