तुम से हम हम से सफल आराधना
प्रीत पावन मधुर कर स्पर्श से,
नेह शीतल कर दिया तापित बदन |
कुन्तलों को आ पवन दुलरा गया ,
रात रानी सा महकता मन अँगन |
एक तारा प्रेम का उर में जगा ,
चाँदनी ने भर लिया निज अंक में |
जब किया इज़हार प्रिय मनुहार से,
फूल ने सुरभि लुटा दी हार कर |
तुम मिले रंग भर गये संसार में ,
हो गयी साकार सारी कल्पना |
तारकों की माँग बेंदी साज के ,
चाँदनी बन छा गयी आकाश पर |
तुम गगन का चाँद हो मैं चाँदनी ,
एक दूजे में समायी श्रष्टि है |
क्या जलेगा दीप बाती बिन भला ,
तुमसे हम हम से सफल आराधना |
मंजूषा श्रीवास्तव