तुम सा कोई नहीं
पूजनीया माँ की जयन्ती पर प्यारी माँ को सस्नेह समर्पित ??
माँ तुम सा
न कोई कभी था
और कभी न हो सकता
इक इक पल का
प्यार तुम्हारा
आज हृदय उसको
है तरसता
माँ तेरे हाथों में क्या था
कौन सा अमृत
था टपकता
आज भी माँ
मेरा यह तन-मन
तुझे याद करते न थकता
तुम सम्मुख न होकर भी
होती मेरे इर्दगिर्द ही
अतुलनीय थी माँ
तेरी ममता ???
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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