तुम साथ होती ___ गजल/ गीतिका
तुम मिलते तो कोई बात होती।
अपनी प्यारी सी मुलाकात होती।।
इंतजार हम करते रहे तुम आए नहीं,
अब बताओ कैसे नई शुरुआत होती।।
चाहत थी दिल के जज्बात तुम्हें बताता।
ज्यादा नहीं कुछ पलों के लिए तुम साथ होती।।
तुम्हारे नहीं आने से दर्द तो बहुत हुआ मुझे।
पहले पता होता तो नहीं यह घात होती।।
भीगने को आतुर था तन _ बदन मेरा।
बिन बादल के पर कहां बरसात होती।।
पड़ता मैं भी बैठ कर छत पर अपनी ही।
अंधेरी नहीं यदि चांदनी रात होती।।
“अनुनय” चल गुजार जिंदगी अकेले में ही।
दुनियां कहां कभी किसी के साथ होती।।
राजेश व्यास अनुनय