तुम संग
मैं जैसे…
रख देती हूं
फिर से उठाकर
तुम्हारे अनमोल अहसास
अतीत की दहलीज पर,
मैंने देखा है..
तुम में स्ययं को
तुम्हारी आंखों मे स्ययं का विलय
आंसुओ से सींचती अपने को
कुछ तस्वीरे भी बया करती है
मैने देखा हैं..
तुम्हारी हंसी में अपनी
हंसी को मिलाकर उस क्षण
जीवन प्रेम-क्षणिकाऐं,उभरती हुई
और उगती सी विरह वेदना
मैंने देखा है..
होठों पर मधुमास सी मुस्कान,
मैं उसमे अपने को मुस्काती सी
देखने का प्रयास मात्र करती
उसमे ही खुशी की अनुभूति स्पर्श करती
मैने देखा है..
तुम्हे सूरज की गति से चमकते हुए,
तुम में खुद को पाती रही चमक सी बन
अभी बाकी है गहन जैसे प्रेम प्रसंग
फूलों की टहनियों का महकना उन संग
मैने देखा है..
अमलतास सा मिठास लिए वो फलियां
कांटों संग फूल सा बन खिले जाना
ओर महकना कांटो साथ आनंदित पल
मैने देखा है..
अब भी व्याप्त है तुम में अपना पन
तुम्हारे पास होने सा प्रतीत हुआ,
सच में चांद ज़मीं पर आया सा लगता
सच मे आ ही गया है वही प्रेम का पल
मैने देखा है..
शेष है तुम्हारा मधुर हो जाना
शेष है मेरा तुम में सिमट जाना
एक पूर्ण मास के समान हो जाना,ओर
तारीखों का जल्दी घट जाना कलैंडर से
मैने देखा है..
तुम्हे आकाश से ऊंचा बने देखना और फिर
मैं भी भरना चाहती हूं ऊंची उड़ान
तुम्हारे पास आ जाने के लिए,
तुम्हे पास से छूने के लिए,सुखद अहसास के लिए
मैने देखा है..
पर जब-जब भी तुम पास होते हो
इस तरह हो जाते हो मुझ में विलीन से
सांसों में बस जाते हो महक से मलय पवन से
तुम्हारी खुशबू में मैं पल पल
महकती रहना चाहती हूँ तुम संग