तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
तुम मोहब्बत करो, मैं जताता हूँ।
तुम बोलो तो हर लब्ज़ समझता हूँ।
तुम चुप रहो तो जज़्बात समझता हूँ।
तुम बन्द करो आँखें तो तुम्हारी ख़्वाब समझता हूँ।
सुनो न……..
तुम मेरे हो मेरे ही रहना।
बस किसी और की न होना।
तुम मेरे हो मेरे ही रहना।
बस किसी और की न होना।
क्या कहा???????????
हो चुकी हो किसी और की
__________हो जाओ।
अब मैं तुम्हारी खत पड़ता हूँ
अब मैं तुम्हारी खत पड़ता हूँ
कि तुमने लिखा था।
“मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, तुम्हारी ही रहूँगी।
मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, तुम्हारी ही रहूँगी।
किसी और की तो हो ही नही सकती।
अच्छा..!!
सुना है शहर में ठंड बहुत है,
अब मैं ये खत जलाता हूँ।
अब मैं ये खत जलाता हूँ।
✍️ अजहर अली
🏡 मनिहारी