तुम लिखो साथ मैं भी लिखती हूं
चलो आज तुम कुछ लिखो
साथ तुम्हारे मै भी लिखती हूं
तुम सुनहरे धागों से बंधे रिश्ते लिखना
मैं नजरंदाजी से सरकते रिश्तों की रेत लिखती हूं
चेहरे पे खिली मुस्कुराहटें लिखना तुम मैं उनमें छिपा दर्द लिखती हूं
चमकती रातों की रंगीनियत लिखना तुम
मैं उन रातों का स्याह सच लिखती हू
जो देखे ख्वाब उनकी ताबीर लिखना तुम
मैं जाग कर जो काटी राते उनका हिसाब लिखती हूं
उम्र जो गुजर गई उसके फलसफे को उजालों में लिखना तुम
मैं उसके अंधेरे को अंधेरों में ही लिखती हूं
हाथो को लकीरों का भाग्य लिखना तुम
मैं कटे हाथो से तकदीर लिखते योद्धा की तस्वीर लिखती हूं
श्री राम के आदर्श लिखो तुम
मैं आदर्श का उदाहरण सीता परित्याग लिखती हूं
राधा कृष्ण के अमर प्रेम को लिखो तुम
मैं वियोग में खंडित राधे का हृदय लिखती हूं
लिखने को और भी लिखते साथ पर क्या कहे तुम सच और मैं हमेशा झूठ ही लिखती हूं