तुम याद आये
तुम याद आये हो बन के उजाले।
कोई तो मुझे मेरी यादों से बचाले।
मन हो चुका है बेसुध सा अब तो,
गिरा जा रहा हूँ कौन मुझको सम्भाले।
– सिद्धार्थ पाण्डेय
तुम याद आये हो बन के उजाले।
कोई तो मुझे मेरी यादों से बचाले।
मन हो चुका है बेसुध सा अब तो,
गिरा जा रहा हूँ कौन मुझको सम्भाले।
– सिद्धार्थ पाण्डेय