तुम मेरे ही पेड़ हो
एक जड़
एक तना
एक टहनी
एक फल
एक फूल
एक पत्ता
एक घोंसला
एक चिड़िया
एक जमीन
एक आसमान
एक मिट्टी
एक बादल
एक रास्ता
एक मंजिल
एक शोर
एक खामोशी
एक खुशबू
एक रंग
अपनी बाहें
चारों दिशाओं में
फैलाये
इन सब जिम्मेदारियों को
अपनी कमर से बांधे
मेरे घर के आंगन में
खड़े
तुम मेरे ही द्वारा रोपित
बीज से बने
पेड़ ही हो ना
तुमने मुझे पहचाना नहीं
तो मैंने यह सवाल
कर लिया
तुमने मुझे पहचान लिया
ना
अपना सिर थोड़ा सा
हिला दो
हां कहने के लिए
तनिक
तिनके भर
झुका दो
मैं समझ जाऊंगी
आसमान से टूटकर
गिर रही पतंग को
अपनी शाखाओं में
फंसा लो
किसी उड़ते हुए पंछी को
अपने आशियाने में
पनाह दो
किसी राहगीर को
अपनी छांव दो
किसी बादल को
अपने ऊपर मंडराने की
जगह दो
किसी प्रेमी युगल को
अपने घने पत्तों में
छिपाकर
इश्क फरमाने की
गुफा दो
किसी कोयल को
अपना राग सबको
सुनाने की
इजाजत दो
किसी को फल
किसी को फूल
किसी को पत्ते
किसी को अपनी लकड़ी
दो
बस बस इतना सब
काफी है
यह थोड़े से इशारे
मेरे लिए पर्याप्त हैं कि
तुम मेरे ही पेड़ हो
मेरी छाया स्वरूप
मेरी कोख से
जन्मे हुए
बिल्कुल मेरे जैसे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001