तुम मेरे हम बन गए, मैं तु्म्हारा तुम
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
मेरे प्रेम
मेरे दोस्त
मेरे हमसफ़र
तेरी हर बात
तेरे साथ गुजरे
हर लम्हें
याद है मुझे
तुमसे ही तो
जुड़ी है
मेरे ज़िन्दगी की
हर अरमान
अब तुमसे ही
जुड़ा है मेरा नाम
तुम मेरे चाह हो
तुम मेरे हर राह हो
तुम मेरी हर ख़ुशी
तुम ही हो हँसी
ना जाने कब
तुम मेरे हम बन गए
मैं तु्म्हारा तुम
और हम दोनों
हो गए हम-तुम…