तुम मेरे स्पाइडर मैंन
हर दिन एक फरमाइश,
हर फरमाइश पर बस तेरा मुस्काना,
मेरी हर फरमाइश फरमान सी होना,
मेरे हर फरमान को तेरा पूरा कर जाना,
वो अंधकार की खाई सेतु बन पार कराना,
खुद सब दुख सहन कर जाना,
पर मुझ पर आँच ना आने देना,
चलने से स्कूल जाने तक का सफ़र,
मेरे लिए सब कुछ आसान बनाना,
मेरे भविष्य की चिंता तुम्हें हरपल होना,
मेरे लिए अपने सब सपने कुर्बान कर देना,
हाँ,तुम मेरे स्पाइडर मैंन हो पापा,
जो हर दिन जूझता है सिर्फ मेरे लिए,
संघर्ष करता है बस मेरे भविष्य के लिए।।
✍माधुरी शर्मा ‘मधुर’