Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jun 2022 · 1 min read

” तुम मेरे साथ हो “

उगता – ढलता हुआ सूरज के बिखरते रंग को हर
रोज़ देखने मे तुम मेरे साथ हो ,

छत की मुंडेर मे बैठ कर चाँद तारो को चमकते
देखने मे तुम मेरे साथ हो ,

हर सुबह बिखरी जुल्फों को सवारते हुए
तुम्हें देखने मे तुम मेरे साथ हो ,

तुम मैं एक ही थाली में खाने मे हर रोज़
तुम मेरे साथ हो ,

तुम आगे मैं पीछे रहूँ और तेरे लफ्जो की
खुशबू मेरे कानों तक आने मे तुम मेरे साथ हो ,

चलती राह मे कोई फूल तोड़ कर इश्क़ का
इजहार करने में तुम मेरे साथ हो ,

ठहरे हुए पानी के किनारे पे मेरे संग तेरी
भी परछाई मे तुम मेरे साथ हो ,

दूर किसी जगह पे आँखों में डूब कर तेरी ही
आँखों से दुनियां देखने में तुम मेरे साथ हो ,

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 223 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from शिव प्रताप लोधी
View all
You may also like:
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
Neelam Sharma
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
Kshma Urmila
मोह
मोह
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"ये कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
नज्म- नजर मिला
नज्म- नजर मिला
Awadhesh Singh
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
gurudeenverma198
किसी के इश्क़ में दिल को लुटाना अच्छा नहीं होता।
किसी के इश्क़ में दिल को लुटाना अच्छा नहीं होता।
Phool gufran
कैसा फसाना है
कैसा फसाना है
Dinesh Kumar Gangwar
खुला आसमान
खुला आसमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
हम से भी ज्यादा हमारे है
हम से भी ज्यादा हमारे है
नूरफातिमा खातून नूरी
" काले सफेद की कहानी "
Dr Meenu Poonia
जीवन मंथन
जीवन मंथन
Satya Prakash Sharma
*नदियाँ पेड़ पहाड़ (कुंडलिया)*
*नदियाँ पेड़ पहाड़ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
चली ये कैसी हवाएं...?
चली ये कैसी हवाएं...?
Priya princess panwar
बंधे रहे संस्कारों से।
बंधे रहे संस्कारों से।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! ...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! ...
पूर्वार्थ
3363.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3363.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
? ,,,,,,,,?
? ,,,,,,,,?
शेखर सिंह
सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !
सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !
DrLakshman Jha Parimal
नैनों के अभिसार ने,
नैनों के अभिसार ने,
sushil sarna
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आंखें हमारी और दीदार आपका
आंखें हमारी और दीदार आपका
Surinder blackpen
🧟‍♂️मुक्तक🧟‍♂️
🧟‍♂️मुक्तक🧟‍♂️
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"पापा की परी”
Yogendra Chaturwedi
भूल चुके हैं
भूल चुके हैं
Neeraj Agarwal
I want to hug you
I want to hug you
VINOD CHAUHAN
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
Dr fauzia Naseem shad
Loading...