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11 Aug 2018 · 1 min read

तुम मेरे दीपक बन जाना..

तुम मेरे दीपक बन जाना, मैं बाती ही बन जाऊंगा ।
मैं अक्सर रोज अंधेरी गलियों में दीपक जलवाऊंगा ।।

ये वादा है मेरा तुमसे , ज्ञान के दिये जलाऊंगा ।
जो छिपा हुआ है अंधियारा, उसको मैं दूर भगाऊंगा ।।

न जरूरत है मुझे घी की, मैं बिन घी दिये जलाऊंगा ।
इक दिन बन ज्ञान का दीपक, मैं सबको खुशियाँ दिलाऊंगा ।

मात-पिता को शीश झुकाकर, महापुरुषों को करूँ स्मरण । रहै न कोई अनपढ़ इस चमन में, ऐसी मैं ज्योत जलाऊँगा ।।

पंहुँचा न उजाला जिन गलियो में, उनमें मैं दीप जलाऊँगा ।
शिक्षित करके जन-जन को, गली-गली में शिक्षा फैलाऊंगा ।

रही गन्दगी जिनके मन में, उनको भी बहुत सिखलाऊंगा ।
भाईचारा कायम करके ,समरसता का सिद्धांत बताऊंगा ।।

बहुत हुआ अँधियारा चमन में, अशिक्षा ओर अनेकता का ।
सब कुप्रथाओं का करके खात्मा, शिक्षा का दीप जलाऊँगा ।

मेरे चमन में त्यौहार बहुत हैं, इस गुलिस्तां की बर्बादी के ।
जन -जन से मैं करूँ ये विनती, हर जन को मैं बतलाऊँगा ।।

हैं त्यौहार बहुत अपने भी, इन सबका ज्ञान सिखाऊंगा ।
संविधान दिवस ओर भीम जयंती, सबके साथ मनाऊंगा ।।

खुशियाँ मिले हज़ार आपको, ऐसी में ज्योति जलाऊँगा ।
फैले ऐसा ज्ञान चमन में, नाम “आघात” का याद दिलाऊँगा।।

आर एस बौद्ध “आघात”
8475001921,

Language: Hindi
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