तुम मेरे कौन
तुम मेरे कौन
क्यूँ पुछते तुम मेरे कौन
द्रिगु बोलते तो क्या मैं मौन
हृदय कब पूछता धड़कन से
क्या बादल पूछते पवन से
ज्योति से कब पूछता दीप
क्या मोती से पूछते सीप
मै धरा तू मेरा सखा गगन
क्षितिज साखी इस मिलन
तू भँवरा मैं तेरी कली सुमन
झंकृत मन सुन मृदु गुंजन
मादक पी प्रणय पराग
उर संचित चिर अनुराग
मुखरित कर देते सूनापन
कुसुमित मेरा मन उपवन
संध्या मैं तू निशि आलिंगन
मिट जाऊँ इस मधुर मिलन
विलीन मैं नादिया ओ सागर
छलकी जाए मृदु स्वप्न गागर
लिपटे तुझसे मोह के धागे
क्या बोलूँ तू क्या मोरा लागे
रेखा