तुम मेरे कौन हो????
“तुम मेरे कौन हो”
लाख कोशिश करती हूं , लेकिन समझ नही पाती हूँ।
कि तुम मेरे कौन हो?
जितना सुलझाती हूँ, उतनी उलझती जाती हूं।
कि तुम मेरे कौन हो?
तुम……..
मेरे आसपास की बयार हो।
बसंत की हसीन बहार हो।
जान निसार है मेरी तुम पर,
तुम हर पल के पूरक प्यार हो।
तुम………..
तुम खुशी हो मेरे तन मन की,
तुम पसन्द हो मेरे जीवन की,
सागर सी हैं गहराईयां तुममे,
जलधार हो सुहाने सावन की।
तुम……….
तुम सहरा में खिलते गुलाब हो
मेरी आँखों के हसीन ख्वाब हो
मेरी आती जाती हर सांस हो।
तुम तो सबसे लाजवाब हो।
तुम………..
ये सब जानकर भी मौन हो,
बताओ फिर तुम मेरे कौन हो||||
सुषमा मलिक,
रोहतक
महिला प्रदेशाध्यक्ष CLA हरियाणा