तुम मेरे आने की आहट..
तुम मेरे आने की आहट, कैसे महसूस करते हो ।
मैं गर कभी भूल भी जाऊँ तो, फ़िर भी तुम याद करते हो ।।
तुम मेरे आने की आहट….
कहकशाँ सुन रखा हमने, मोहब्बत का जुबानों से ।
तुम मेरे हो गए अपने, अपने जब लगे बेगानों से ।।
बेइंतहा प्यार करता था …खुले दिल से सदा उनकों..2
राह बीच आप यूँ मुझको, अकेला क्यूँ छोड़ जाते हो ।
तुम मेरे आने की आहट……
ख़्याल-ए-ख़्वाब जब भी मन में, जब कभी उनका आता है ।
मेरा दिल फ़िर उन्हीं पल को, क्यों अक्सर याद करता है ।।
बेवफ़ा हम कभी न थे…यक़ीन उनको दिलाऊँ कैसे…2
प्यार मैं अब भी करता हूँ, क्यूँ तुम इनकार करते हो ।
तुम मेरे आने की आहट…..
आर एस बौद्ध “आघात”
अलीगढ़