Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2022 · 2 min read

तुम मेरी हो…

यकिन रख मैं तेरा ही हूँ,
पर कैसे भरोसा करूँ कि,
तू किसी और सी नहीं..

तुमसे मिलने से पहले
अपनी हाथों की लकीरों में
हर पल तेरा ही नाम ढूँढ़ा मैंने
तुमसे मिलने के बाद
किसी और की तकदीर में
तुमको कैसे शामिल करने दे सकता हूँ मैं
तुम समझो मैं स्वार्थी हूँ
कोई बात नहीं
पर तुमको खोता देख सकूँ मैं
इतना भी निर्लज्ज नहीं मैं
तुम मेरी जरूरत नहीं, मेरी ख्वाहीश हो
शायद ये कहने के शब्द नहीं होंगे मेरे पास
पर मैं तुम्हारा हो चुका हूँ
ये समझने जज्बात कहाँ गए तुम्हारे
हर बात को दोहरा दूँ
ऐसा इंसान नहीं हूँ मैं
इस बार प्रेम मेरा नि:स्वार्थ हैं
ये सोच के मैं खुद ही हैरान खड़ा हूँ
तुमको पाने की कोई लालसा तो छोड़ो
कल्पना भी नहीं हैं
फिर भी कहता हूँ जबतक हो तुम
तुम मेरी हो….

हर बार इस आहट में रहता हूँ कि
अब के तुम पुकारोगी
तुम काहे को पुकारोगी
जो फुरसत में अपने जिती हो
कुछ कह दूँ जरा तो
तिलमिला सी तुम उठती हो
कुछ ना कह दूँ तो भी
दोष मेरे सिर ही मढ़ती हो
तुमसे प्रेम पाने की ख्वाहीश
मुझे तुम तक हर पल बाँधे रखती हैं
इस पल तुम मेरी होती हो
अगले ही पल किसी और के
खयालों मे जिती हो
हर बात समझना मजबूरी हैं मेरी
पुरूष वर्ग का चोला पहना रखा हैं मैंने
प्रेम करूँ तो समझा ना सकूँ मैं
ये कैसी अब बैचेेनी सी है मेरी
तुमको अपने दर्द ही दिखते हैं
अपने आँसू मैं पी जाता हूँ
इंसान हूँ कोई पत्थर नही हूँ
जो हर कोई पूज जाता हैं
हाँ .. तकदीर का मारा हूँ
प्रेम शास्त्र में हर पन्ना हारा हूँ
अब भी कुछ विरह का आक्रोश हैं मुझमें
फिर भी,
जो आखरी इन पंक्ति में भी
मैंने सिर्फ तुझे ही पुकारा हैं…..
#ks

Language: Hindi
465 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
जिंदगी हमको हँसाती रात दिन
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
सुबह का प्रणाम। इस शेर के साथ।
सुबह का प्रणाम। इस शेर के साथ।
*प्रणय*
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
"वक्त-वक्त की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
Ashwini sharma
समय (Time), सीमा (Limit), संगत (Company) और स्थान ( Place),
समय (Time), सीमा (Limit), संगत (Company) और स्थान ( Place),
Sanjay ' शून्य'
राह मुश्किल हो चाहे आसां हो
राह मुश्किल हो चाहे आसां हो
Shweta Soni
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के प्रपंच
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के प्रपंच
कवि रमेशराज
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
गंणतंत्रदिवस
गंणतंत्रदिवस
Bodhisatva kastooriya
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
Rj Anand Prajapati
सबला नारी
सबला नारी
आनन्द मिश्र
खुद का वजूद मिटाना पड़ता है
खुद का वजूद मिटाना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
रात अंजान है
रात अंजान है
Dr. Rajeev Jain
*श्री जगन्नाथ रस कथा*
*श्री जगन्नाथ रस कथा*
Ravi Prakash
वाल्मिकी का अन्याय
वाल्मिकी का अन्याय
Manju Singh
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
पूर्वार्थ
"" *भारत* ""
सुनीलानंद महंत
मेरे  जीवन की  कमी हो  तुम
मेरे जीवन की कमी हो तुम
Sonam Puneet Dubey
गुज़ारिश आसमां से है
गुज़ारिश आसमां से है
Sangeeta Beniwal
4500.*पूर्णिका*
4500.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
If We Are Out Of Any Connecting Language.
If We Are Out Of Any Connecting Language.
Manisha Manjari
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
Ravikesh Jha
जीवन
जीवन
Mangilal 713
मेरा भारत जिंदाबाद
मेरा भारत जिंदाबाद
Satish Srijan
किसी भी बहाने से उसे बुलाया जाए,
किसी भी बहाने से उसे बुलाया जाए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Untold
Untold
Vedha Singh
Loading...