तुम मेरी प्रिय भाषा हो
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
वो भाषा
जिसमे देखे जा सकते हैं सपने
और कहा जा सकता है दुख
बिना किसी संकोच के,
जिसमे कहा और सुना जा सकता है
अनकहा , अनसुना
और संगीत बन जाती है चुप्पियां,
तुम मौन की भाषा हो
वो भाषा जिसमे प्रेम करती है प्रकृति
और बोल उठती हैं आंखें,
तुम्हारे बिना संभव नहीं है संवाद
तुम्हारे साथ संभव है बिना कुछ कहे, संवाद ।
~ विमल