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2 Jul 2024 · 1 min read

तुम मेरी प्रिय भाषा हो

तुम मेरी प्रिय भाषा हो
वो भाषा
जिसमे देखे जा सकते हैं सपने
और कहा जा सकता है दुख
बिना किसी संकोच के,
जिसमे कहा और सुना जा सकता है
अनकहा , अनसुना
और संगीत बन जाती है चुप्पियां,
तुम मौन की भाषा हो
वो भाषा जिसमे प्रेम करती है प्रकृति
और बोल उठती हैं आंखें,
तुम्हारे बिना संभव नहीं है संवाद
तुम्हारे साथ संभव है बिना कुछ कहे, संवाद ।
~ विमल

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