तुम मेरी क्या हो ?
तुम तो स्वच्छ चांदनी सी
कोमल वंदनी तुम मेरी क्या हो
हृदय की रागनी हो या
स्पर्श प्रथम हो तुम
मीठी चुभन हो या
प्रणय की वेदना हो तुम
उम्र की एक उमड़ती नदी हो या
मधुर सी हलचल
तुम मेरी क्या हो?
देह का शृंगार हो या
मेरे रूप का मधुमास हो तुम
कठोर क्षणों में मेरी अश्रुपूर्ण
मेघ सी चंचल
तुम मेरी क्या हो?
तुम कठिन अनंबंध हो या
तुम मेरा मनुहार हो
तुम उम्र की एक साधना हो या
तुम मेरी भावना हो
क्या कहे आखिर तुम मेरी क्या हो?
हृदय का एक उद्गार हो तुम
भावनाओं का संसार हो तुम
चंचल मन की एक वीणा हो तुम
‘अंजुम’ मेरे जीवन का आधार हो तुम
गीत की लय हो
न जाने तुम मेरी क्या हो?
नाम-मनमोहन लाल गुप्ता
मोबाइल नंबर-9927140483