तुम मेरा साथ दो
बन प्रहरी खड़ा मैं
सियाचिन की सरहद पर,
राष्ट्र रक्षक राष्ट्र प्रेमी
राष्ट्र हित ही कार्य समर्पण।
असीम शौर्य पराक्रम हैं
मुझमें और मेरे साथियों में,
मातृ भूमि की रक्षा करता
नहीं रुकते जरा भी कदम।
करते ध्वज को नमन
कहते घर से चलते समय,
ध्वज के साथ आएंगे या
ध्वज में लिपट आएंगे।
कहना चाहता हूँ राष्ट्र वालों से
बनो तुम भी राष्ट्र भक्त,
सेवन करते इस धरा का अन्न जल
इसे गाली न दो।
विदेशी सामान का बहिष्कार
करो, पूरे राष्ट्र वासियों,
जो पैसा तुम देते
सीने पर गोली हम खाते।
मिलता हौंसला बढ़ते कदम
एक कदम आगे एक पीछे रहता,
पर रहते दोनों साथ- साथ
थका मन भी जोश भरता।
कहा सुभाष चंद्र बोस जी ने
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा,
आ गया हैं वो समय
तुम मेरा साथ दो,रक्षा राष्ट्र की हम करेंगे