‘तुम महकता कमल’
तुम महकता कमल खूबसूरत हसीं |
तुम किसी की ग़ज़ल खूबसूरत हसीं ||
क्युँ मैं चाहूँ तुम्हें दिल- ज़िगर से मेरे |
तुम किसी का महल खूबसूरत हसीं ||
क्या पता बाग में फिर खिले न खिले |
आप-सा फूल कल खूबसूरत हसीं ||
कशमकश से भरा जिंदगी का सफ़र |
ख़ुशनुमा चार पल खूबसूरत हसीं ||
गुलसिता में सहज बाबरा अली बन |
रूप पर न मचल खूबसूरत हसीं ||
रुक्न 212 212 212 212
जगदीश शर्मा सहज