तुम भी
ये घाव अब दवा से कहां सही होते है
दुआओ की भीड़ में एक दुआ दे जाना तुम भी।
ये घाव मैने खुद को ही दिए है
खुद को ही दफ़न किया है खुद ही मै
कई फरिश्ते रास्ता दिखाते है मुझे
गलती ही सही एक रास्ता दिखाना तुम भी।
कभी सामने आ जाऊं तो एक दफा देखना जरूर
तसल्ली होगी इश्क़ कभी हमारा भी कबूल था
के नज़रे हटा लेना फिर नजरो से
गैर है कोई वो,और अनजान तुम भी।
क्या पता ये घाव ऐसे ही सही हो
बस गैरों की तरह गुजरू
और अनजानों की तरह गुज़र जाना तुम भी
दुआओं की भीड़ में एक दुआ दे जाना तुम भी।