तुम भी मजा चखना
**तुम भी मजा चखना**
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नहीं कोई मिला अपना,
नहीं पूरा हुआ सपना।
मुझे कुछ भी नहीं दिखता,
हमें दिल में सदा तकना।
बहारों से भरा मौसम,
ज़रा तुम भी मज़ा चखना।
बहुत हालात हैं बिगड़े,
बना घर मे जगह बसना।
बुलाता प्यार मनसीरत,
खुली बाहें सनम रखना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)