Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2024 · 4 min read

तुम बिन सूना मधुमास

पिछले दिनों युवा कवयित्री सुमन लता जी का काव्य संग्रह ‘तुम बिन सूना मधुमास’ प्राप्त हुआ। स्वास्थ्य कारणों से चाहकर भी अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाया। अब आज जब लिखने की कोशिश कर रहा हूंँ तब सबसे सुखद तो यह महसूस हो रहा है कि विशुद्ध घरेलू महिला में अपनी अभिव्यक्ति का कितना जूनून है। हम सभी जानते हैं कि एक महिला को अपनी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों के साथ अपने भीतर की छिपी प्रतिभा को साकार करने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है।यह अलग बात है कि पति, पिता और परिवार का साथ, संबल मिले तो राहें थोड़ी आसान हो जाती हैं। बस…. इससे अधिक कुछ नहीं।
यूँ तो सुमन को विभिन्न आभासी मंचों पर पढ़ने का अवसर मिलता रहता है। उनकी सहजता सरलता से नि:संदेह प्रभावित हूँ, वरन उनके पैने दृष्टिकोण का भी प्रशंसक भी हूँ। इतने कम उम्र में तीन- तीन संग्रह प्रकाशन के स्तर तक ले जाना आसान नहीं होता, वो भी
किसी मध्यमवर्गीय परिवार, ऊपर से महिला के लिए तो और भी नहीं। फिर भी सुमन जी ने इस स्तर तक खुद को पहुँचाया। निश्चित ही वे बधाई की हकदार हैं।
संग्रह का अवलोकन करने पर महसूस होता है कि कवयित्री के रूप में सुमन अपने आसपास पैनी नजर रखते हुए जो महसूस करती हैं, उसी से प्रभावित होकर कविता के रूप में शब्दों को पिरोती रहती हैं। चाहे प्राकृतिक सौंदर्य हो, राष्ट्रप्रेम/ देशभक्ति हो, जाति /धर्म, सामाजिक हिंसा या सामाजिक विसंगति या बुराइयां हों। युद्ध की विभीषिका से बेचैन दिखती हैं।
नारी शक्ति को किसी से कम न मानने वाली सुमन ने संग्रह में अपनी विविध रचनाओं के माध्यम से उन्होंने अपने बहुआयामी दृष्टिकोण और चिंतन का उदाहरण पेश किया है। चाहे पर्यावरण संरक्षण की बात हो या पानी बचाने का संदेश देने का दायित्व निभाने की कोशिश करते हुए मन के भावों का शब्द चित्र खींचने की सुंदर सार्थक कोशिश की है।
मन की बात में कवयित्री अपने बारे में कहती हैं कि शैक्षणिक यात्रा में और आगे न बढ़ पाने का खेद हमेशा रहा है। लेकिन माँ शारदे की उन पर बरसती कृपा के फलस्वरूप उनमें कुछ नया करने का जज्बा हमेशा से रहा और भगवान ने भी साथ दिया, जो कुछ ऐसे मित्र मिले, जिन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया । परिवार और मित्रों का सहयोग, संबल का ही परिणाम प्रस्तुत काव्य संग्रह के रूप में सामने है।

संग्रह की लगभग सभी रचनाएँ सहज गेयता के विभिन्न छंदों के रूप में हैं। माँ शारदे की वंदना में माँ से विनय करते हुए सुमन कहती हैं –

नित शीश झुकाऊँ, वंदन गाऊँ, ऐसा देना, वर मैया,
है रीती गागर, कर दो सागर, पार लगा दो, अब नैया।

गुरु नमन में वे लिखती हैं –

हे गुरुदेव दया के सागर,नमन हमारा हो स्वीकार,
देकर ज्ञान हमें से गुरुवर, किया बहुत हम पर उपकार।

शिव आराधना में वे भोलेनाथ से चाहती हैं –
भक्ति-भाव से पावन मन हो, देव भजन का हो बस काम,
मन की दुविधा दूर करो सब, नित चरणों में करूँ प्रणाम।

मन के भाव की दो पंक्तियां उनके मन की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करते हैं –
कभी प्रेम की बातें लिखती,कभी- कभी लिखती तकरार,
डूब नशे में कैसे मानव, कर लेता जीवन बेकार।

युद्ध की विभीषिका से विचलित सुमन हालात का रेखाचित्र खींचने की कोशिश करते हुए लिखती हैं –

जन- जन के हालात बुरे हैं, तरसे दाना पानी को,
कोई ढूँढे मात- पिता को, कोई बिटिया रानी को।
चीख रहे सब बेबस होकर, ठौर नहीं दिखती कोई,
जिसने देखा हाल बुरा ये, वो आँखें कब हैं सोई।

समय की महत्ता समझाते हुए बड़े सहज अंदाज में सुमन लिखती हैं –

समय बीत जाने पर
हाथ मलते रहेंगे,
बैठे -बैठे साथ फिर
झुनझुना बनायेंगे।

सुभाष चंद्र बोस जी को याद करते हुए सुमन की पंक्तियां झकझोरती हैं –

आ जाओ फिर से नेता जी, खतरे में आजादी है,
घर के ही घर लूट रहे हैं, खतरे में शहजादी है।

गणतंत्र दिवस में कवयित्री कहती है-

बड़ी एकता देश में है दिखाओ,
करें भारती को नमन आज आओ।

नशे के प्रति मनमानी पर कवयित्री उलाहना देते हुए कहती है-

जो बीत गया अब याद, उसी की आई।
सब चर्चा है बेकार, न हो भरपाई।

माँ की ममता की याद दिलाते हुए कहती हैं –

माँ भूली अपना चैन, नींद भी खोई,
तू जब-जब रोया साथ, सदा मां रोई।

इसके अलावा हरगीतिका छंद, मालती सवैया, दुर्मिल सवैया, मुक्तक के अलावा गीत संगीत, मासूम बेटी, द्वेष न पालो, द्रौपदी, समाधान, बना दो बिगड़े काम, पानी नहीं बहाना, चमत्कार, मुनिया, सपना, पतझड़ सहित 74 रचनाएं संग्रह में हैं।
संक्षेप में कहा जाय तो सरल, सहज और आम जनमानस की समझ में आने के साथ प्रभावित करने वाली रचनाओं से सुसज्जित संग्रह की सफलता की उम्मीद जगाने के साथ सुमन के उज्ज्वल साहित्यिक भविष्य का संकेत भी दे रहा।
सुकीर्ति प्रकाशन कैथल(हरियाणा) द्वारा प्रकाशित और नाम के अनुरूप मुखपृष्ठ वाले संग्रह ‘ तुम बिन सूना मधुमास ‘की सफलता और कवयित्री सुमन लता के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ अशेष शुभकामनाएं……।

समीक्षक
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

1 Like · 55 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
इश्क की अब तलक खुमारी है
इश्क की अब तलक खुमारी है
Dr Archana Gupta
"वो लॉक डाउन"
Dr. Kishan tandon kranti
शिक़ायत है, एक नई ग़ज़ल, विनीत सिंह शायर
शिक़ायत है, एक नई ग़ज़ल, विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
….
….
*प्रणय प्रभात*
फूल और तुम
फूल और तुम
Sidhant Sharma
2759. *पूर्णिका*
2759. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कितनी गौर से देखा करते थे जिस चेहरे को,
कितनी गौर से देखा करते थे जिस चेहरे को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
निकट है आगमन बेला
निकट है आगमन बेला
डॉ.सीमा अग्रवाल
"आधुनिक नारी"
Ekta chitrangini
*अध्याय 3*
*अध्याय 3*
Ravi Prakash
प्रेम - एक लेख
प्रेम - एक लेख
बदनाम बनारसी
मनुख
मनुख
श्रीहर्ष आचार्य
राज़ की बात
राज़ की बात
Shaily
विषय:- विजयी इतिहास हमारा। विधा:- गीत(छंद मुक्त)
विषय:- विजयी इतिहास हमारा। विधा:- गीत(छंद मुक्त)
Neelam Sharma
मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है
मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है
पूर्वार्थ
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
प्रेमदास वसु सुरेखा
#रचनाकार:- राधेश्याम खटीक
#रचनाकार:- राधेश्याम खटीक
Radheshyam Khatik
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
surenderpal vaidya
जरुरी है बहुत जिंदगी में इश्क मगर,
जरुरी है बहुत जिंदगी में इश्क मगर,
शेखर सिंह
राम आधार हैं
राम आधार हैं
Mamta Rani
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
Rj Anand Prajapati
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तू ही मेरी चॉकलेट, तू प्यार मेरा विश्वास। तुमसे ही जज्बात का हर रिश्तो का एहसास। तुझसे है हर आरजू तुझ से सारी आस।। सगीर मेरी वो धरती है मैं उसका एहसास।
तू ही मेरी चॉकलेट, तू प्यार मेरा विश्वास। तुमसे ही जज्बात का हर रिश्तो का एहसास। तुझसे है हर आरजू तुझ से सारी आस।। सगीर मेरी वो धरती है मैं उसका एहसास।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
🌸 आशा का दीप 🌸
🌸 आशा का दीप 🌸
Mahima shukla
रात भर नींद भी नहीं आई
रात भर नींद भी नहीं आई
Shweta Soni
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
माईया गोहराऊँ
माईया गोहराऊँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी बातें दिल से न लगाया कर
मेरी बातें दिल से न लगाया कर
Manoj Mahato
हृदय में वेदना इतनी कि अब हम सह नहीं सकते
हृदय में वेदना इतनी कि अब हम सह नहीं सकते
हरवंश हृदय
Loading...