तुम, तुम और तुम
ये राष्ट्रभक्ति का उपहार प्रिये
बस दिखाने का ही प्यार प्रिये
अपनी अपनी सोच है सबकी
लगता जीवन जैसे उधार प्रिये!!
दुष्टों के चक्कर को छोड़ प्रिये
क्या करना है ऐसी मरोड प्रिये
खुशी में रुखी सूखी मिल जाये
फिर कैसी जगत की दौड प्रिये!!
मजा लेना अभी वर्तमान प्रिये
अभी त्याग दो अभिमान प्रिये
ऊंच नीच की नहीं कोई मर्यादा
परमपिता का जीवन दान प्रिये!!
कहने वाले तो कहते ही प्रिये
हम जैसे बस दुख सहते प्रिये
रोकने से कोई नहीं रुकनेवाला
अहम् की नदिया में बहते प्रिये!!
यही जीवन बस खजाना प्रिये
व्यवहार न चले मनमाना प्रिये
मन में आया जरूर करना है
समस्त जगत को सुनाना प्रिये!!
खुद को जानना जानना प्रिये
व्यर्थ अन्य को पहचानना प्रिये
उठापटक सब छोड़ जगत की
अपने ही दिल की मानना प्रिये!!