तुम जो हमको मिले हमसफर मिल गया।
हमसफर
तुम जो हमको मिले हमसफर मिल गया,
राह भूले मुसाफिर को घर मिल गया।
है यही आरजू साथ हो हमसफर
हमसफर मिल गया सब जहां मिल गया।
प्यास होठों पे आके मचलने लगी,
तृप्ति का इक नया सिलसिला मिल गया ।
एक सूखी नदी आज बहनें लगी,
गंगा जल का हमे आचमन मिल गया।
फूल खिलने लगे बाग रौशन हुआ,
बुलबुलों को चमन का पता मिल गया।
मुस्कराहट मिली कुछ हंसी मिल गयी,
प्यार का इक नया फलसफा मिल गया।
चाँदनी भी विहँस गुनगुनाने लगी,
चाँद जगमग सितारों को घर मिल गया।
अनुराग दीक्षित
फर्रुखाबाद