Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2017 · 1 min read

तुम जीवन सार हो

जब तुम्हारा विहग मन उड़ जायेगा
प्रेम तरुवर की मधुरतम छाँव को
कामनाओं का बड़ा उद्यान बनकर
बाँध लूँगा मैं तुम्हारे पांव को

ज्यों भटकते अक्षरों को जोड़कर
शब्द बनता है कोई सार्थक
भावनाओं की जमीं पर रोपकर
पा सकोगे ताल सुरलय की खनक

तुम भटकती चाँदनी में तैरती
पूर्णमासी की सुनहरी रात हो
तुम सरोवर की सतह पर बिछ रहे
कमल दल पर हो रही बरसात हो

तुम मेरा अस्तित्व, कविता, प्यार हो
तुम छलकते नेह का आधार हो
देह नस में दौड़ता संचार हो
प्राण – प्रिय ! तुम, जीवन सार हो

प्रदीप तिवारी ‘धवल’

Language: Hindi
879 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छवि के जन्मदिन पर कविता
छवि के जन्मदिन पर कविता
पूर्वार्थ
*पेड़*
*पेड़*
Dushyant Kumar
विश्वेश्वर महादेव
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
Keshav kishor Kumar
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
Phool gufran
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
सांसों से आईने पर क्या लिखते हो।
सांसों से आईने पर क्या लिखते हो।
Taj Mohammad
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
अरविंद भारद्वाज
श्री राम मंदिर
श्री राम मंदिर
Mukesh Kumar Sonkar
जिंदगी की हर कसौटी पर इम्तिहान हमने बखूबी दिया,
जिंदगी की हर कसौटी पर इम्तिहान हमने बखूबी दिया,
manjula chauhan
3593.💐 *पूर्णिका* 💐
3593.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मेरी कलम......
मेरी कलम......
Naushaba Suriya
किसी भी देश या राज्य के मुख्या को सदैव जनहितकारी और जनकल्याण
किसी भी देश या राज्य के मुख्या को सदैव जनहितकारी और जनकल्याण
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
*चाहत  का  जादू छाया है*
*चाहत का जादू छाया है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक पुष्प
एक पुष्प
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
पैसे की क़ीमत.
पैसे की क़ीमत.
Piyush Goel
हमारा विद्यालय
हमारा विद्यालय
आर.एस. 'प्रीतम'
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
sudhir kumar
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मजदूर की मजबूरियाँ ,
मजदूर की मजबूरियाँ ,
sushil sarna
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
Dr Archana Gupta
"पाठशाला"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शिव प्रताप लोधी
कीलों की क्या औकात ?
कीलों की क्या औकात ?
Anand Sharma
🙅उजला पक्ष🙅
🙅उजला पक्ष🙅
*प्रणय*
कारोबार
कारोबार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मैं अपने अधरों को मौन करूं
मैं अपने अधरों को मौन करूं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और      को छोड़कर
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और को छोड़कर
Rakesh Singh
परिणति
परिणति
Shyam Sundar Subramanian
प्रेम - एक लेख
प्रेम - एक लेख
बदनाम बनारसी
Loading...