तुम जिंदगी जीते हो।
तुम जिंदगी जीते हो बस अपने वास्ते।
इसीलिए अलग हो गए ये अपने रास्ते।।1।।
हाल ए इश्क इक तरफा क्या पूछते हो।
पूछो उससे बर्बाद हुए है जिसके वास्ते।।2।।
ले चलो हमको दिखा दो हमारे घर को।
चलने लगी गाडियां भी लाश के वास्ते।।3।।
बड़ा सुकूँ था जो गुजरे हैं पल साथ में।
ढूढने से भी नही मिलते वो पुराने राब्ते।।4।।
कोई रहा ना उसका अब इस बस्ती में।
लौटके वो आए तो आए किसके वास्ते।।5।।
यूं ना दुत्कारों अनाथ है तो क्या हुआ।
तरस खाओ यातिमों पे खुदा के वास्ते।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ