Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2024 · 1 min read

तुम जाते हो।

देखो,यह अवनि की छाती आज धड़कती कम सी है।
देखो, यह रूई की बाती आज तड़कती कम सी है।
देखो,यह अंशुमाली में आज नही है तीखा ताप।
देखो, चंदा की शीतलता आज नहीं पड़ती पर्याप्त।

देखो दीपक आज रोशनी के सम्मुख कतराता है।
देखो तृष्णा और सुधा का आज टूटता नाता है।
देखो अंबर के आतप की आज तितिक्षा खोती है।
देख देख कर के नियति , अपनी रचना पर रोती है।

आज देखनी होगी तुमको उत्साहों की दारुण हार।
आज देखना होगा तुमको इस पीड़ा का पारावार।

©Priya ✍️

Language: Hindi
Tag: Poem
3 Likes · 3 Comments · 144 Views
Books from Priya Maithil
View all

You may also like these posts

गीत- तेरी मुस्क़ान मरहम से...
गीत- तेरी मुस्क़ान मरहम से...
आर.एस. 'प्रीतम'
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
Kumar Kalhans
प्रकृति का दर्द– गहरी संवेदना।
प्रकृति का दर्द– गहरी संवेदना।
Abhishek Soni
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
"" *अहसास तेरा* ""
सुनीलानंद महंत
धीरे-धीरे सब ठीक नहीं सब ख़त्म हो जाएगा
धीरे-धीरे सब ठीक नहीं सब ख़त्म हो जाएगा
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यादों के संसार की,
यादों के संसार की,
sushil sarna
मन करता है
मन करता है
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सीख लिया है सभी ने अब
सीख लिया है सभी ने अब
gurudeenverma198
****वो जीवन मिले****
****वो जीवन मिले****
Kavita Chouhan
The Unknown Road.
The Unknown Road.
Manisha Manjari
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
दीपक झा रुद्रा
#ਨੀਂਵੀਂ ਪਾ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜ ਦੇ
#ਨੀਂਵੀਂ ਪਾ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜ ਦੇ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
"खोजना"
Dr. Kishan tandon kranti
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
विश्व सिंधु की अविरल लहरों पर
विश्व सिंधु की अविरल लहरों पर
Neelam Sharma
संवेदनशील होना किसी भी व्यक्ति के जीवन का महान गुण है।
संवेदनशील होना किसी भी व्यक्ति के जीवन का महान गुण है।
Mohan Pandey
4431.*पूर्णिका*
4431.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shashi Mahajan
ദുരന്തം.
ദുരന്തം.
Heera S
ध्रुवदास जी के कुंडलिया छंद
ध्रुवदास जी के कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
Pratibha Pandey
माँ
माँ
Raju Gajbhiye
तेवरीः साहित्य के नए तेवर + गिरि मोहन ‘गुरु’
तेवरीः साहित्य के नए तेवर + गिरि मोहन ‘गुरु’
कवि रमेशराज
माणुसकी
माणुसकी
Shinde Poonam
हिंदी हमारे देश की एक भाषा मात्र नहीं है ,
हिंदी हमारे देश की एक भाषा मात्र नहीं है ,
पूनम दीक्षित
तंग अंग  देख कर मन मलंग हो गया
तंग अंग देख कर मन मलंग हो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दूरी
दूरी
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...