तुम चली गई
मां
क्या सच में
तुम चली गई
या समा गई
मुझ में ही कहीं
अब मैं सुबह से ही
रसोई बनाती हूँ
थोड़ा परेशान होती हूं
फिर भी सब का
ध्यान रखती हूं
वह तुम ही तो हो
मेरे भीतर
सुबह उठते ही
भजन लगा लेती हूं
और काम करती हूँ
वह तुम ही तो हो
मेरे भीतर
नित्य भाई का हाल
पूछती हूं
और अपना हाल
उसे बताती हूं
वह भी तो तुम ही हो
ना मां
तुम मेरे ही भीतर
ठहर गई
या मैं तुम्हारे साथ
चली गई
अनंत की यात्रा पर|