*तुम चन्द्रमुखी*
चन्द्रसुशोभित हे प्रिय तेरा मुख मन्ड़ल
मनवां कुन्दन मधुबन काया है संदल
है मृगलोचन अलके रेशम श्यामल सी
कोयल सी मीठी बातें औ’ मलयाचल
कोंपल सा नव यौवन तुम हो कुसुमागम
पुरवा की सर-सर मौसम है शीशम
अब तो नैन झरोंखों से देख मुझे सखि
अपने पास बुला ले मैं हूँ तेरा बालम
जब केश घटा लहराए मन को भायें
तेरी चुड़ी की खन खन पास बुलायें
नैन निहारे सुब्हों शाम तुम्हें सजनी
तेरे दीदार बिना जीया ना जायें
देख तुझे बढ़ जाती है ये प्रतिस्पंदन
देख नयन हैरां हैं तेरा चल चितवन
बाजे है दिल में पटहानक औ’ वीणा
तुम फागुन बन आयें हो मेरे आँगन
तुम चन्द्रमुखी तुम हो मेरी रितुरानी
हो तुम जाँ धड़कन मस्तानी दीवानी
महका है दिल का घर तेरी चाहत से
मेरी सजनी तुम हो फूलों की रानी
तन्मय तुमपे मधुमान मधुर जीवन है
तुमसे है सातों जन्म का बंधन है
प्रीत अमिट कर बन जायें मालिन माली
ये दिल के प्रीत नगर में मधुबन है
दुष्यंत कुमार पटेल “चित्रांश”