तुम गुलाब हो
गुलाब की तरह हो तुम,
खिलती महकती सी।
आज़ाद परिंदे की मानिंद,
आसमाँ में उड़ती सी।।
वो तुम्हारी मस्त आँखें,
वो तुम्हारा अल्हड़पन।
वो अदाएं वो शोखियाँ,
गजब का वो बाँकपन।।
वो शानों पर बिखरी जुल्फें,
गालों पे चमकता नूर।
लगता है धरती पर उतरी हो,
जैसे कोई जन्नत की हूर।।
दिल बेताब हो जाता है,
जब पास से गुजरती हो।
धड़कने बढ़ जाती हैं,
जब मुस्करा कर देखती हो।।