!! तुम खुश न हुए, तो मेरा क्या फायदा !!
इस ख़ामोशी में रंग भरने को
तुम मुझ को बुला लिया करो
हम को तो आदत है , की
महफ़िल न रौनक हुई
तो क्या फायदा ,
किसी के दिल में
तराने न गूंजे तो
मेरा क्या फायदा
अरमान कुछ खाली न रहे
तो हम भरने चले आते हैं
तेरी महफ़िल आबाद रहे
हम इसी लिए चले आते हैं
हमारी चाहत ही कुछ ऐसी है
सब के लिए
अंदाज ही कुछ ऐसा
तुम सब के लिए
खाली महफ़िल में ताली न बजी
तो क्या फायदा
हमारा तेरी महफ़िल में आने का
बेरौनक नहीं जायेंगे
हम यूं उठकर
अगर तेरा खली दिल भी
रौशन न हुआ , मेरे आने से….
अजीत