तुम क्या,कौन हो मेरे लिए ?
दुआ है रब से की तुम्हारी जिन्दगी कुछ यूँ बन जाए,
की तुम्हारे चाहने से ही तुम्हे हर खुशी मिल जाए|
इसके साथ ही मेरा रब मुझपर भी कुछ यूँ अपना करम बरसाए,
की तेरी खुशबू से मेरी जिंदगी महक जाए।।
ये दिल पूछता है मेरा, कौन हो तुम ?
एक दोस्त जो मेरी फ़िक्र करता है,
या फिर इश्क़ जो हर बात में मेरा जिक्र करता है,
क्या तुम वो दोस्त हो जो मुझे हंसाता है या फिर
वो इश्क़ को मेरे ख्वाबों में आता है।
कौन हो तुम,क्या वो दोस्त जो मुझसे यूँही सवाल करता है
या फिर वो इश्क़ जो मुझमें ही अपना हर जवाब ढूंढता है
तुम ही बोलो कौन हो तुम !
मेरी ज़िंदगी को थी जिसकी तलाश तुम वही ख्याल हो क्या,
थी कोशिस जिसको ख्वाबों में पाने की,
तुम वही अरमान हो क्या,
पूछता हु मैं अब तुमसे की हर रोज कच्ची नींद में आशना बनाता था जिसे तुम वही ख्याल हो क्या,
मेरी खामोशी से भरी मुसकुराहट की तुम ही गुनाहगार हो क्या,
अब तुम ही बताओ तुम कौन हो मेरे जो हर वक़्त मेरे ख्यालों में आते हो,
ख्वाबों में आ, दिल में प्यार का एहसास जगा,फिर सुबह अपनी किरणों से मेरा हर ख्वाब तोड़ जाते हो,
अब तुम ही समझाओ तुम कौन हो मेरे लिए ।
कहि तुम समुंदर की वो कोई साज़िश तो नही जो लहर बन मुझे समुंदर में डुबो,
फिर तैर कर भवँर पार कराना चाहती है,
शायद इसी बहाने मुझे बेफिक्र हो कर जिंदगी जीना सीखाना चाहती है,
सच है क्या !
अब सुनो जो मेरा दिल कहता है तुम्हारे लिए,
तो सुनो तुम मेरी जिंदगी का चांद हो जो सांझ के सूरज की बेवफ़ाई के बाद भी अंधेरे से मुझे बचाये रखती है,
तुम वो आकाश हो जो मुझें ख़ुद में समेटे रहती है,
तुम वो हवा हो जिसके झोंके मुझें तेरे बदन की खुशबु दे जाते हैं,
कुछ यूँ कहूँ तो तुम एक एहसास हो जो मेरे अधूरेपन को पूरा कर जाता है,
सच कहूँ तो तुम जिंदगी तो नहीं पर जिंदगी जीने की वजह हो मेरे लिए।।
दीपक ‘पटेल’