तुम कहो तो कुछ लिखूं!
तुम कहो तो कुछ लिखूं!
गर तुम कहो तो तुम पर कुछ लिखूं
तुम्हारी वो मुस्कुराहट
मुस्कान में छुपा दर्द
तुम कहो तो दर्द की दवा लिखूं
गर तुम कहो तो तुम पर कुछ लिखूं
तुम्हारे माथे की सिकन
जिम्मेदारी का बोझ
तुम कहो तो थोड़ी राहत लिखूं
गर तुम कहो तो तुम पर कुछ लिखूं
तुम्हारी रोती आँखें
आंखों में बसे सपने
तुम कहो तो खुशी लिखूँ
गर तुम कहो तो तुम पर कुछ लिखूं
तुम्हारी टूटी हुई चूड़ी
रक्त से भरे कंगन
तुम कहो तो जंजीरें लिखूं
गर तुम कहो तो तुम पर कुछ लिखूं
तुम्हारी पैर की चुभती पायल
टूटे लड़खड़ाते कदम
तुम कहो तो बेड़ियां लिखूं
गर तुम कहो तो तुम पर कुछ लिखूं
तुम्हारी वो खामोशी की सहनता
हार में जीत की उम्मीद
तुम कहो तो अपराजिता लिखूं
गर तुम कहो तो तुम पर कुछ लिखूं
स्वरचित…
विकास सैनी
(रायबरेली, उत्तर प्रदेश )