– तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही –
– तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही –
युधिष्ठिर द्रौपदी का चीर हरण तुम रोक सकते थे,
पर तुमने ऐसा किया नही,
महाराज धृतराष्ट्र तुम थे भले ही जन्मांध,
पर सुनकर भी तुमने अनसुना किया,
आदेश द्रौपदी के चीर हरण का तुम रोक सकते थे ,
पर तुमने ऐसा किया नही,
गांधारी तुम्हारे आंखे में थी पट्टी बंधी दुर्योधन के पुत्र मोह की,
तुम्हे पुत्र मोह में कानो से भी दौप्रदी की चीख सुनी पर,
तुम चाहती तो रोक सकती थी दुशासन को ऐसा कुकृत्य करने से,
पर तुमने ऐसा किया नही,
दी तुमने अपने भांजे को बुरी सलाह मामा कंस,
भले ही तुमने द्वेष भावना से कुल विनाश का प्रण लेकर के,
तुमने अपने प्रण को पूरा करने को दुर्योधन को रोका नही,
उकसाया उसको पाप करने को,
तुम चाहते तो रोक सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही,
हे यदुवंशी मुरलीधर श्री हरी कृष्ण,
महाभारत युद्ध की विभीषिका को तुम जानते हुए भी ,
बनेगा वो युगो – युगों तक भाईयो की हीन भावना का प्रतीक व उदाहरण,
यह जानते हुए भी तुम रोक सकते थे महाभारत युद्ध पर,
तुमने ऐसा किया नही,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान