तुम और प्रेम
सुनो…
अगर मैं ये कहूं कि हां नहीं करती मै जिक्र तुम्हारा,
हां नहीं होती है मुझे तुम्हारी कोई फिकर,
मुझे मतलब नहीं तुम्हारे खुश होने या
फिर तुम्हारे उदास हो जाने से ,
या मुझे तुम्हारी वो बेबाक हंसी नहीं भाती,
मै कह दूं कि नहीं हो तुम कोई खास मेरे,
हां नहीं रहमुझे तुमसे बेहद लगाव कोई ,
और नहीं गिरते अब मेरी आंखो से आंसू,
वो तुम्हारी याद वाले,
और मेरी बेचैनियो का सबब भी तुम नहीं हो अब,
नहीं होता है मेरा मन व्याकुल तुम्हारे लिए ,
हां मुझे तुमसे बिछड़ने का कोई दर्द नहीं होता है अब,
हां मै खूब हंसती हूं मुस्कुराती हूं,
अपनों गैरों में वक़्त बिताती हूं,
तन्हाइयां मुझे नहीं करती परेशान अब ,
कहीं तेरा ज़िक्र आने से नहीं सिसकती मै,
या कह दूं कि आ गई है मुझमें बहुत हिम्मत,
अब खुद को पत्थर जैसा ही कठोर कर चुकी हूं मैं,
तो क्या यकीन कर पाओगे तुम??
इन सब बातों का,
शांत हो गई है मेरी पीड़ाएं सारी ,
क्या इस बात का यकीन इतनी आसानी से कर लोगे तुम?
तुम देखोगे नहीं मेरी आंखो में,
तुम महसूस नहीं करोगे मेरे शब्दों की गहराई को,
क्या तुम नहीं देख पाओगे उन सूखे हुए आंसुओ के निशानों को,
जो पूर्णतया शायद अभी सूखे भी नहीं होंगे,
झूठ बोलने पर जो होती है बेचैनी सी ,
क्या मेरी वहीं बेचैनी महसूस कर पाओगे तुम?
शायद तुम्हे नहीं महसूस होगा कभी,
मेरे क्रोध के पीछे छिपा मायूस सा प्रेम मेरा,
तुम नहीं जान पाओगे कि मन की व्याकुलता
के इस असीम भंडार की वजह सिर्फ तुम ही हो🙂
ये जो बार बार कहती हूं कि तुम्हे भूल गई,
ये इस बात का सुबूत है कि मैंने हर पल तुम्हे ही याद किया है,
तुम्हारी यादें यूं समाई हैं मुझमें ,
मानो शरीर में आत्मा का निवास जैसे🙂
इसलिए जिन्हे मै भूलकर भी नहीं भूल सकती,
तुम मेरी वो स्मृतियां हो जो अजर है अमर हैं,
यादों की एक अनमोल दुनिया तुम्हीं में समाहित है मेरी,
इसलिए तुम याद हो तुम याद आते हो,तुम यादों में रहोगे सदैव,
हृदय में बहती रक्तधारा के समान..,♥️🙂