तुम और पक्षी
तुम्हें अच्छी नहीं लगती,
पक्षियों की स्वच्छंद उड़ान,
क्योंकि-तुम
उड़ ही नहीं सकते।
तुम्हें भाता नहीं है,
पक्षियों का निडर
होकर चहकना ।
क्योंकि-तुम
जहाँ गंभीर हो,
वहाँ महज़ दिखावा है ।
तुम्हें पसंद नहीं आता,
पक्षियों का कतारवद्ध
अनुशासन ।क्योंकि-
तुम जहाँ पर
सख्त़ हो,वहाँ
साम्राज्य है तुम्हारे ही
अड़ियल स्वभाव का।
तुम बदलो या
न बदलो।
पक्षी उड़ान भरते रहेंगे।
वे चहकते भी रहेंगे।
वे अनुशासित भी रहेंगे ।
क्योंकि-वे अच्छी तरह
से जानते हैं कि-
मेहनत कभी
बेकार नहीं जाती।