तुम आ भी जाओ एक बार
तुम आ भी जाओ एक बार
दुखी दिल करता यह पुकार
उर भावों के बोझ तले दबा
तुम से करनी बातें हजार
अब तक नहीं मुलाकात हुई
दिल बैचेन को बहुत इंतजार
रुठे हो क्यों किस बात पर
तुम्हें देंगे हम खुशी बेशुमार
मयकशी आँखे है रस भरी
मय आँखों से पिला दो यार
प्रेम सुंदर अनुभूति सृष्टि की
प्रेम रंग चढे ,हो जाएं रंगदार
हम तुम कब से हैं मैं तुम हुए
हों मै तुम हम,बन समझदार
फैलाएं खड़े हैं बाहें राहों पर
दोड़े चले आओ मेरे दिलदार
राहें प्रेम की हैं बहुत कठिन
चलते रहो,रुको मत मंझदार
सोचिए मत ,दोड़े चले आओ
पीएंगे कप चाय फिर एक बार
हमसे क्या खता हुई सुनो प्रिय
बताओ तो सही ,पूछूं बार बार
तुम आ भी जाओ एक बार
दुखी दिल करता है यह पुकार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत