तुम आ जाओ
कभी ऐसा ना हो
अजनबी राहों में
कहीं खो जाओ।
मुकद्दर से चुराया है तुम्हें..
अनजान किस्से सा भूलकर
समय सा न कहीं हो जाओ।
अँधेरा बहुत है थमी सी राहों में
उजाला प्रेमदीप से कर जाओ
“मीत” रागदीप जरा गा जाओ।
मुद्दतों से जो बसी है
थकन मन में उदासियों की
स्नेह से अपने दूर कर जाओ
मेहरबां मुझपर हो जाओ।
सुलगा बहुत है मन
तड़पती अवहेलना से
तुम आओ प्रिय मन में
प्रेम फूल ,खिला जाओ।
“सुनों,अब तुम आ जाओ…!!