तुम आना
उर में नव वसंत प्रीत लिए
फागुन के पलाश रंग लिए
नदी किनारे अमराई पे
खुशरंग औ रासरंग लिए
अंतर वीणा तुम्हें पुकारे
इक आशा तुम नई जगाना
धानी चुनर ओढ़ तुम आना l
पंखुड़ी सा अधर पर अपने
सौंधी सौंधी मुस्कान लिए
मेरे कूचे में चुपके से
दिल में थोड़ी रूमान लिए
मन आंगन को हर्षित करने
मधुमय सुरमयी शाम लाना
धानी चुनर ओढ़ तुम आना ll
तुम रुनझुन पायल छनकाती
मीठी मीठी मनुहार लिए
बालों की गजरा महकाती
दिल में इश्क़ के खुमार लिए
कब से बाहों को इंतजार
भाता है तेरा इतराना
धानी चुनर ओढ़ तुम आना ll
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल